Ambe ji ki aarti lyrics PDF (जय अम्बे गौरी)

अम्बे माता, भगवानी दुर्गा, मां शक्ति के रूप में जानी जाती हैं और हिन्दू धर्म में उनकी विशेष पूजा और आराधना की जाती है। उन्हें जय अम्बे गौरी और मैया जय श्यामा गौरी के रूप में पुकारा जाता है, और उनकी आरती उनके भक्तों के द्वारा प्रतिदिन गाई जाती है। यह आरती उनके दिव्य स्वरूप की महत्वपूर्ण प्रतीक है और उनके प्रति भक्तों की श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होती है।

अम्बे माता जी की आरती (Ambe ji ki aarti)एक अद्वितीय और मान्यता पूर्ण आराधना है, जो हमारे जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति में सहायक है, और यह ब्लॉग हमारे पाठकों को इसके महत्व को समझने में मदद करेगा।

Ambe ji ki aarti in hindi (जय अम्बे गौरी)

जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी |
तुमको निशिदिन ध्यावत
तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी ||
ॐ जय अम्बे गौरी

जय अंबे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी |
तुमको निशिदिन ध्यावत
तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी ||
ॐ जय अंबे गौरी

मांग सिंदूर विराजित
टीको जगमग तो |
मैया टीको जगमग तो
उज्ज्वल से दोउ नैना
उज्ज्वल से दोउ नैना
चंद्रवदन नीको ||
ॐ जय अम्बे गौरी

कनक समान कलेवर
रक्ताम्बर राजै |
मैया रक्ताम्बर राजै
रक्तपुष्प गल माला
रक्तपुष्प गल माला
कंठन पर साजै ||
ॐ जय अंबे गौरी

केहरि वाहन राजत
खड्ग खप्पर धारी |
मैया खड्ग खप्पर धारी
सुर नर मुनिजन सेवत
सुर नर मुनिजन सेवत
तिनके दुखहारी ||
ॐ जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती
मैया नासाग्रे मोती |
कोटिक चंद्र दिवाकर
कोटिक चंद्र दिवाकर
सम राजत ज्योती ||
ॐ जय अंबे गौरी

शुंभ निशुंभ बिदारे महिषासुर घाती
मैया महिषासुर घाती |
धूम्र विलोचन नैना
धूम्र विलोचन नैना
निशदिन मदमाती ||
ॐ जय अम्बे गौरी

चण्ड-मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे
मैया शोणित बीज हरे |
मधु कैटभ दोउ मारे
मधु कैटभ दोउ मारे
सुर भयहिन करे ||
ॐ जय अंबे गौरी

ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी
मैया तुम कमला रानी |
अगम निगम बखानी
अगम निगम बखानी
तुम शिव पटरानी ||
ॐ जय अम्बे गौरी

चौंसठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरों
मैया नृत्य करत भैरों |
बाजत ताल मृदंगा
बाजत ताल मृदंगा
ओर बाजत डमरू ||
ॐ जय अंबे गौरी

तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता
मैया तुम ही हो भरता |
भक्तन की दुख हरता
भक्तन की दुख हरता
सुख संपति करता ||
ॐ जय अम्बे गौरी

भुजा चार अति शोभित वर-मुद्रा धारी
मैया वर मुद्रा धारी |
मनवांछित फल पावत
मनवांछित फल पावत
सेवत नर नारी ||
ॐ जय अंबे गौरी

कंचन ढाल विराजत अगर कपूर बाती
मैया अगर कपूर बाती |
श्रीमालकेतु में राजत
श्रीमालकेतु में राजत
कोटि रतन ज्योती ||
ॐ जय अम्बे गौरी

श्री अम्बे जी की आरती
जो कोई नर गावे |
मैया जो कोई नर गावे
कहते शिवानंद स्वामी
कहते शिवानंद स्वामी
सुख सम्पति पावे ||
ॐ जय अंबे गौरी

जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी |
तुमको निशिदिन ध्यावत
तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी ||
ॐ जय अम्बे गौरी

अंबे माता की आरती का महत्व:

Ambe ji ki aarti

अंबे माता की आरती, जो माँ दुर्गा की पूजा के दौरान गाई जाती है, धार्मिक और आध्यात्मिक माहत्व रखती है। यह आरती भक्तों के लिए मां दुर्गा के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक होती है, जिससे वे उनकी आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

अंबे माता की आरती का उद्देश्य देवी माँ की महिमा गुणगान करना होता है और उनके प्रति श्रद्धा और समर्पण दिखाना होता है। यह आरती भक्तों को माँ दुर्गा के साथ एक दिव्य संबंध बनाने में मदद करती है और उनके मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति को सुधारती है।

इसके साथ ही, अंबे माता की आरती एक सामाजिक समरसता के प्रतीक के रूप में भी महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह सभी वर्गों और समुदायों को एक साथ आने का अवसर प्रदान करती है और सभी को एक ही दिव्यता की ओर ले जाती है।

इस प्रकार, अंबे माता की आरती का महत्व धार्मिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है और इसे नियमित रूप से अपने जीवन में आयोजित करना धर्मिक और मानसिक शांति के प्रति एक प्रामुख धार्मिक क्रिया के रूप में महत्वपूर्ण है।

Ambe Ji Ki aarti in english

Jai Ambey (Ambe) Gauri Aarti Maa Mata Rani

Jai Ambe Gauri maiya, jai shyama gauri
Nishdin tumko dhyavat, Hari Brahma Shivji
Jai Ambe Gauri maiya, jai shyama gauri

Mang sindur birajat, tiko mrigmadko
Ujjvalse dou naina. chandravadan niko
Jai Ambe Gauri maiya, jai shyama gauri

Kanak saman kalevar, raktambar raje
Raktapushp galmala, kanthhar saje
Jai Ambe Gauri maiya, jai shyama gauri

Kehari vahan rajat khadg khappar dhari
Sur nar munijan sevat, tinke dukhahari
Jai Ambe Gauri maiya, jai shyama gauri

Kanan kundal shobhit, nasagre moti
kotik chandra divakar, samrajat jyoti,
Jai Ambe Gauri maiya, jai shyama gauri

Shumbh-nishumbh vidare, Mahishasur ghati
Dhumra-vilochan naina, nishdin madmati
Jai Ambe Gauri maiya, jai shyama gauri

Brahmani, Rudrani, tum kamala rani
Agam-nigam bakhani, tum shiv patrani
Jai Ambe Gauri maiya, jai shyama gauri

Chaunsath yogini gavat, nritya karat bhairon
Bajat tal mridanga, aur bajat damru
Jai Ambe Gauri maiya, jai shyama gauri

Tum ho jag ki mata, tum hi ho bharat
Bhaktan ki dukh harta, sukh sampati karta
Jai Ambe Gauri maiya, jai shyama gauri

Bhuja char ati shobhit, var mudra dhari
Manvanchhit phal pavat, sevat nar nari
Jai Ambe Gauri maiya, jai shyama gauri

Kanchan thal virajat, agaru kapur bati
Malketu men rajat, kotiratan jyoti
Jai Ambe Gauri maiya, jai shyama gauri

Jai Man Ambey Bhavani (Bhawani) Aarathi

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अंबे जी की आरती का सही तरीका:

अंबे जी की आरती का पालन निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है:

सामग्री:

  1. अंबे जी की मूर्ति
  2. पुष्प (फूल)
  3. दीपक (दिया) और मैचिस
  4. धूप बत्ती या अगरबत्ती
  5. पूजा की थाली
  6. वस्त्र (चादर या आसन)
  7. प्राण प्रतिष्ठा (प्राण प्रतिष्ठा की विधि का पालन करना)

आरती का तरीका:

  1. पहले, अंधकार को मिटाने के लिए दीपक को जलाएं।
  2. अंबे जी की मूर्ति के सामने बैठें या खड़े हो जाएं।
  3. पुष्प के प्रहरी के रूप में फूल अंबे जी के चरणों पर रखें और मन में भक्ति भाव से आरती करें।
  4. आरती के दौरान, धूप बत्ती या अगरबत्ती जलाएं और आरती गाने लगें।
  5. आरती के बाद, दीपक को अंबे जी की मूर्ति के सामने फिर से दर्शाएं।

इस तरीके से अंबे जी की आरती को करके आप भगवान के आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं और अपने मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं।

अंबे माता जी की आरती करने का सही समय:

अंबे माता जी की आरती करने का सही समय विभिन्न दिन और पर्वों पर भिन्न हो सकता है, लेकिन शास्त्रों और पूजा परंपराओं के अनुसार, निम्नलिखित समय पर आरती करना अधिक शुभ माना जाता है।

आमतौर पर, अम्बे माता जी की आरती सुबह और शाम के समय गाई जाती है, और यह एक आध्यात्मिक आदर्श है जो हमें शक्ति, साहस, और संकटों से मुक्ति की कामना करने के लिए प्रेरित करता है। इस ब्लॉग “भर्तीचालीसा” में, हम अम्बे माता जी की आरती के महत्व, इतिहास, और शब्दों का अर्थ और उनके महत्व को समझाएंगे। आरती के गाने के द्वारा हम अम्बे माता की महिमा को समझने का प्रयास करेंगे और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए उनके प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण का प्रकटकरेंगे।

  1. सुबह की आरती: सुबह को अंबे माता की आरती करना उनके प्रगति और शक्ति की वृद्धि के लिए शुभ माना जाता है। यह समय धूप और दीपक के साथ होता है और सुबह की शांति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए आरती की जाती है.
  2. शाम की आरती: शाम को आरती करना अंबे माता के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है। यह समय सूर्यास्त के पास होता है और विशेष रूप से शांति, सुख, और समृद्धि के लिए आरती की जाती है.

यदि आप किसी विशेष पूजा या व्रत के अनुसार अंबे माता की आरती कर रहे हैं, तो आपको उस पूजा के निर्दिष्ट समय पर आरती करनी चाहिए, जैसे कि नवरात्रि या दुर्गा पूजा के दौरान।

समय पर अंबे माता जी की आरती करने से आप उनके आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में सुख, सामृद्धि, और शांति की प्राप्ति कर सकते हैं।

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