हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) pdf in English ,Hindi & Sanskrit

हनुमान चालीसा एक प्रमुख हिन्दू धर्मिक पाठ है जो भगवान हनुमान की महिमा, भक्ति, और शक्ति को आदर्शित करता है। इसका महत्व अत्यधिक है और यह कुछ कारणों से महत्वपूर्ण है:

  1. भगवान हनुमान की भक्ति: हनुमान चालीसा पढ़ने और गाने से भगवान हनुमान की भक्ति में वृद्धि होती है। यह भक्तिभाव और समर्पण की भावना को बढ़ावा देता है और व्यक्ति को दिव्यता की ओर प्रवृत्त करता है।
  2. रोग और संकट के निवारण: हनुमान चालीसा का पाठ करने से लोग अपने जीवन में आने वाले बाधाओं और संकटों को दूर करने की कामना करते हैं। यह उन्हें उनकी समस्याओं के समाधान के लिए अधिक उत्साहित करता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: हनुमान चालीसा के पाठ का प्रभाव न केवल भौतिक बल की बढ़ोतरी में होता है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति में भी मदद करता है। यह व्यक्ति को आध्यात्मिक सुदृढ़ि करता है और उन्हें आत्मा के साथ मिलाता है।
  4. शांति और मानसिक स्थिति: हनुमान चालीसा का पाठ शांति और मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद कर सकता है। यह व्यक्तिगत चिंताओं को दूर करके आत्मिक शांति प्रदान कर सकता है।
  5. सामाजिक एकता: हनुमान चालीसा के पाठ का एक और महत्वपूर्ण पहलू है कि यह समाज में एकता और सौहार्द को बढ़ावा देता है। लोग इसे समुदाय के साथ मिलकर पढ़ते हैं और इसके माध्यम से सामाजिक और धार्मिक आदर्शों का पालन करते हैं।

समर्पित भक्तों के लिए हनुमान चालीसा एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रथा है जो उनके जीवन को सशक्त और आनंदमय बनाने में मदद करती है। यह उनकी आत्मा को प्रेरित करती है और उन्हें दिव्यता की ओर ले जाती है।

Hanuman Chalisa in Hindi

श्रीगुरु चरण सरोज रज,
निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरणौ रघुबर बिमल जसु,
जो दायकु फल चारि।।1।।

बुद्धिहीन तनु जानिके,
सुमिरौं पवनकुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं,
हरहु कलेश विकार।।2।।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।।

रामदूत अतुलित बल धामा,
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।3।।

कञ्चन बरण बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुञ्चित केसा।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै।।4।।

शङ्कर सुवन केसरी नन्दन।
तेज प्रताप महाजग बंदन।
विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे कौशल पूर।।5।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा।।6।।

भीम रूप धरि असुर सञ्घरे।
रामचंद्र के काज सवारे।
लैय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।7।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।
सहस बदन तुम्हरो यश गावै।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै।।8।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा।
नारद सारद सहित अहीशा।
यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।9।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा।
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।10।।

युग सहस्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर पल जानू।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।11।।

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।12।।

सब सुख लहैं तुम्हारी सरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।13।।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै।
नासै रोग हरैं सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बलबीरा।।14।।

संकट सेंधूर नमन तें आनै।
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहुँ गुरुदेव की नाई।
जो शत बार पाठ कर कोई।।15।।

छूटहि बंदि महा सुख होई।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।।16।।

Hanuman Chalisa in Marathi

श्री गुरु चरण सरोज रज,
निज मन मुकुर सुधारि।
बरणौ रघुबर बिमल यशु,
जो दायकु फल चारि।।१।।

बुद्धिहीन तनु जानिके,
सुमिरौं पवनकुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहि,
हरहु कलेश विकार।।२।।

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।३।।

रामदूत अतुलित बलधामा,
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।
महावीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।४।।

कञ्चन बरण केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग बंदन।
विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिवें कौशल प्रताप।।५।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।
सूक्ष्म रूप धरिसियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।६।।

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।
लै सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।७।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।
सहस बदन तुम्हरो यश गावै।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै।।८।।

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।९।।

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।९।।

कल्याणरूप प्रकटित दिनमुखी।
कल्याणरूप प्रकटित दिनमुखी।
कल्याणरूप प्रकटित दिनमुखी।
कल्याणरूप प्रकटित दिनमुखी।।१०।।

Hanuman Chalisa in English

Shri guru charan saroj-raj,
Nij manu mukuru sudhaari.
Baranau raghubar bimal jasu,
Jo daayaku phal chaari.

Buddhiheen tanu jaanike,
Sumirau pavan kumaar.
Bal buddhi vidyaa dehu mohin,
Harahu kalesh vikaar.

Jai hanuman gyaan gun saagar,
Jai kapiis tihun lok ujaagar.

Raamadoot atulit bal dhaama,
Anjani putra pavansut naama.
Mahaabeer bikram bajarangi,
Kumati nivaar sumati ke sangi.

Kanchan baran biraj subesa,
Kaanana kundal kunchit kesa.
Haath bajra au dhvaja birajai,
Kaanthe moonj janeu sajai.

Shankar suvan keshari nandan,
Tej prataap mahaajag bandan.
Vidyaavaan guni ati chaatur,
Raam kaaj karibe kaushal poor.

Prabhu charitra sunibe ko rasiaa,
Raam lakhana seetaa man basiaa.
Sookshma roop dhari siyahin dikhavaa,
Vikat roop dhari lank jaraavaa.

Bheem roop dhari asur sanghare,
Raamchandra ke kaaj savaare.
Lai sajeevan lakhana jiyaaye,
Shri raghubeer harashi ur laaye.

Raghupati keenhi bahut badaai,
Tum mam priya bharatahi sam bhaai.
Sahas badan tumharo yash gaavaai,
As kahi shreepati kanth lagaavai.

Sanakaadik brahmaadi muneesha,
Naarad saarad sahit aheeshaa.
Yam kubera digapaal jahaan te,
Kavi kovid kahi sake kahaan te.

Tum upakaar sugreevahi keenha,
Raam milaay raajapad deenha.
Tumharo mantr bibheeshan maanaa,
Lankeshwar bhaye sab jag jaanaa.

Yug sahasra yojan par bhaanoo,
Leelyo taahi madhur pal jaanoo.
Prabhu mudrikaa meli mukh mahee,
Jaladhi laanghi gaye acharaj naahee.

Durgam kaaj jagat ke jete,
Sugam anugrah tumhare tete.
Raam duaare tum rakhavaare,
Hot na aajnyaa binu paisaare.

Sab sukh lahai tumhaari sarna,
Tum rachchak kaahoo ko dar na.
Aapan tej samhaaro aapai,
Teenon lok haank te kaanpai.

Bhoot pisaach nikat nahin aavai,
Mahaaveer jab naam sunaavai.
Naasai rog harai sab peera,
Japat nirantar hanumat balbeera.

Sankat se jhoondi namana te aavai,
Jai jai jai hanumaan gosaai.
Kripaa karahu guru dev kee naaee,
Jo shat baar paath kar koi.

Chhootahi bandi mahaa sukh hoee,
Jo yah padhai hanumaan chaleesaa.
Hoyi siddhi saakhee gaurisaa,
Tulasidaas sadaa hari cheraa.

Hanuman Chalisa in Sanskrit (Devanagari)

श्रीगुरु चरण सरोज रज,
निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरणौ रघुबर बिमल जसु,
जो दायकु फल चारि।।1।।

बुद्धिहीन तनु जानिके,
सुमिरौं पवनकुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं,
हरहु कलेश विकार।।2।।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।।3।।

रामदूत अतुलित बल धामा,
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।4।।

कञ्चन बरण बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुञ्चित केसा।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै।।5।।

शङ्कर सुवन केसरी नन्दन।
तेज प्रताप महाजग बंदन।
विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे कौशल पूर।।6।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा।।7।।

भीम रूप धरि असुर सञ्घरे।
रामचंद्र के काज सवारे।
लैय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।8।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।
सहस बदन तुम्हरो यश गावै।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै।।9।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा।
नारद सारद सहित अहीशा।
यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।10।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा।
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।11।।

युग सहस्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर पल जानू।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।12।।

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।13।।

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